computer ka itihas in hindi

कम्प्यूटर का इतिहास ( History of Computer )

आज कल Computer  मात्रा गणना से भी कुछ और काम करते है। उदाहरण के लिए, ऑटोमैटिक टेलर मशीन (एटीएम ) हमे संसार के लगभग किसी भी हिस्से से बैंकिंग लेनदेन की सुविधा प्रदान करती है। डिपार्टमेंटल स्टोर कंप्यूटर का उपयोग बिल बनांने तथा भण्डारण का प्रबंध करने के लिए भी करते है।
               
computer ka itihas
Computer 
इसके अलावा Computer का Use कई क्षेत्रो में हो रहा है जैसे कि एयर लाइन्स, रेलवे आरक्षण प्रणाली, शोध संस्थानों बैंको में। आखिर ये सभी तकनीकी आयी कहा से ? इन सभी बातो को जानने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि इसके विकास को जाना जाये।

कंप्यूटर का विकास (Development of Computer)


Electronic data की Processing सन 1940 से शुरू कर दी गई थी और जिसके फलस्वरूप Abacus  के रूप में  सामने आयी। Computer केवल एक निर्जीव यन्त्र ही नहीं है बल्कि यह मानव के ज्ञान को संकलित करके मानव की क्षमता से परे कार्यो को क्रियान्वित कर सकने वाला साधन है, लेकिन आज इसका क्षेत्र अत्यंत व्यापक हो गया है। सरल गणनाओ को तीव्र गति से करने के लिए अनेक दिलचस्प संगणक - यंत्रो का अविष्कार किया गया। जो उपकरण सरल संगणनाओ का निष्पादन करते थे, वे आज Electronic Computer में परिवर्तित हो गए है। ये Computer टेक्स्ट आधारित दस्तावेज, रेखाचित्र, सरल व जटिल वैज्ञानिक संगणनाएँ, मल्टीमीडिया जैसे कार्यो को दक्षता पूर्वक करते है।

  •  अबेकस (Abacus)

 Abacus  पहला संगणक यन्त्र है। जिसका अविष्कार चीन में हुआ था। Abacus की व्युत्पत्ति ग्रीक शब्द 'एबेक' (धूल) तथा ' एबेक्स ' ( रेत ) से हुई।  इसके तारो में गोलाकार मोती (beads) होती थी। जिसकी सहायता से गणना को आसान बनाया गया। Abacus लकड़ी के फ्रेम का बना होता था। जिसके दो भाग थे ऊपरी भाग को हैवेन (Heaven) तथा निचले भाग को अर्थ (Earth) कहते है। अर्थ भाग के प्रत्येक मोती का मान 1 होता है तथा Heaven भाग के प्रत्येक मोती का मान 5 होता है। Abacus स्थानीय मान अंकन - पध्दति के सिध्दांत पर कार्य करता है, इसलिए विभिन्न पंक्तियों में मोतियों का स्थान निश्चित करता है।

  • नेपियर्स बोनस ( Napier's Bones )

सर जॉन नेपियर ने सन 1617 ई. में जोड़, घटाना, गुणा और भाग के लिए Napier's Bones  का अविष्कार किया। जो 11 आयताकार छड़ो के समूह से निर्मित था।
स्लाइड रूल (Slide Rule) - 1630 ई. विलियम ओटेड (William Oughted ) ने एक यन्त्र Slide Rule का अविष्कार किया जो अंकगणित के लघुगणक ( Logarithm ) पर आधारित था।

  • पास्कलाइन (Pascaline)

फ्रांस के गणितज्ञ ब्लेज़ पास्कल ( Blaize Pascal ) ने 1642 में यांत्रिक गणना मशीन ( Mechanical Calculator)  का अविष्कार किया। यह मशीन केवल जोड़ व घटाना ही कर सकती थी। अतः इसे एडिंग मशीन (Adding Machine) भी कहा गया।

  • लिबनिट्ज कैलकुलेटर (Leibnitz Calculator)

ईसवी 1671 में जर्मनी गणितज्ञ gottfried Leibnitz ने pascal calculator में सुधार किया और एक ऐसी मशीन बनायीं जो की गुना और भाग पर आधारित सभी प्रकार की गणनाओ को आसानी  सम्पन्न कर सकती थी।

  • विश्लेषणात्मक इंजन (Analytical Engine)

ब्रिटिश गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज  (Charles Babbage ) ने 1822 में difference Engine  का अविष्कार किया जो भाप से चलता था तथा गणनाएँ कर सकता था। 1842 में Charles Babbage ने एक स्वचालित मशीन  Analytical Engine बनाया, जो पंचकार्ड के दिशा निर्देशों के अनुसार कार्य करता था तथा मूलभूत अंकगणितीय गणनाएँ  (जोड़, घटाना, गुणा और भाग) कर सकता था।
लेडी एडा अगस्टा (Ada Augusta ) ने एनालिटिकल इंजन में पहला प्रोग्राम डाला।  इसलिए उन्हें दुनिया का प्रथम Programmer कहा गया।  उन्हें दो अंको की संख्या प्रणाली अर्थात बाइनरी प्रणाली (Binary System) के अविष्कार का श्रेय भी जाता है।

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कम्प्यूटर्स की पीढ़िया

  • पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर ( 1940 से 1950 का दशक )


प्रथम पीढ़ी में Computer का मुख्य हिस्सा Vaccum Tubes थी। Vaccum Tubes एक electronic device है, जिसके जरिये डिजिटल सिग्नल का संसाधन काफी तेज हो जाता है।
Vaccum Tubes से काफी अधिक मात्रा में ऊष्मा निकलती है, जिससे Computer बार - बार बंद होता था। इस समय विभिन्न क्रियाओ के लिए कई तरह के कंप्यूटर विकसित हुए। इनमे से कुछ इस प्रकार है।

  • ENIAC - इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटिग्रेटोर एनालाइजर एन्ड कंप्यूटर 
  • EDVAC - इलेक्ट्रॉनिक डिस्क्रीट वेरिएबल ऑटोमैटिक कंप्यूटर 
  • UNIVAC - यूनिवर्सल ऑटोमैटिक कंप्यूटर 
  • Mark 1 
प्रथम पीढ़ी के सभी कंप्यूटर काफी थे, जो पुरे कमरे को घेरते थे तथा काफी ऊष्मा छोड़ते थे। वे काफी धीमी थे और प्रायः समस्या पैदा करते थे।

  • दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ( 1950  से 1960  का दशक )

व्दितीय चरण में विकसित हुए Computer में Vaccum Tubes के स्थान पर ठोस प्रदार्थ का उपयोग हुआ, जिसे Transister कहा गया। Vaccum Tubes की  तुलना में Transister काफी सुविधा जनक थे। वे काफी दक्ष तथा Vaccum Tubes की तुलना में सस्ते थे।
इस समय High Level  Programming Language जैसे COBOL तथा FORTRON मौजूद थी तथा कंप्यूटर डिजाइनिंग में भी कई महत्वपूर्ण कार्य हुए।

  • तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (1960  से  1970 का  दशक )

हालांकि Vaccum Tubes की तुलना में Transister में काफी सुधार था, लेकिन उनकी भी कुछ सीमाएं थी।  उनका सर्किट काफी जटिल होता था, जिसमे एक अकेले Transister में कई कनेक्शन जुड़े रहते थे। एक बड़ी सफलता उस समय मिली, जब सैकड़ो Transister को सफलतापूर्वक एक साथ जोड़कर उन्हें एक सिलिकॉन चिप में रखा जा सका , जिसे इंटीग्रेटेड सर्किट ( IC ) कहा गया। इस तरह Transisters के स्थान पर सिलिकॉन चिप के उपयोग से तीसरी पीढ़ी के Computers की शुरुआत हुई।

  • चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर (1970  से 1980 का दशक )   

LSI Technology वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन ( VLSI ) के विकास का रास्ता दिखाया, जिसमे लाखो Transisters  को एक चिप में रखा जा सकता था।  चौथी पीढ़ी के Computers के लिए यही महत्वपूर्ण हिस्सा  था। VLSI चिप और अधिक तेज गणना करके में समर्थ थी। इन चिप्स का इस्तेमाल अनेक घरेलु उपकरणों जैसे वाशिंग मशीन आदि में हुआ। माइक्रोप्रोसेसर का अविष्कार 1972 में हुआ यह एक अकेली चिप कंप्यूटर के सारे प्रोसेस को कर सकती है।

  • पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर (1980 से अब तक)

इस पीढ़ी में अनुसन्धान का ध्यान ' थिंकिंग कंप्यूटर ' को विकसित करने पर है। इस तकनीक को Artificial Intelligence अर्थात कृत्रिम बुद्धिमता कहा जाता है। इस कंप्यूटर को पांचवी पीढ़ी का Computer कहा जाता है।  हम जिस Computer का Use कर रहे है। वह पांचवी पीढ़ी का Computer है।


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Divya Kosale

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